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टेक्नोलॉजी का जमाना

आज का दौर जहां हम फर्श से अर्श तक पहुंच चुके हैं जहां हमने कई बुराइयों को पीछे छोड़ नई आदतों को अपनाया है उसी में से एक चीज है टेक्नोलॉजी जो अब हमारी आदत बन चुकी है जिस प्रकार हम खाना पानी और हवा के बगैर नहीं रह सकते ठीक उसी तरह टेक्नोलॉजी भी हमारे लिए बहुत ही जरूरी हो गई है।हमारे दिन की शुरुवात से लेकर दिन के अंत तक टेक्नोलॉजी पर निर्भर है। जिंदगी का हर पड़ाव समाज से जुड़ी हर कहानी पर्सनल हो या प्रोफेशनल हर चीज हर बात हर सिचुएशन टेक्नोलॉजी के इर्द गिर्द घूमती है और यह तब और भी जरूरी हो जाता हैं जब सोशल मीडिया का हमारी जिंदगी में प्रवेश होता है जहां हर व्यक्ति चाहे वो इंट्रोवर्ट हो या एक्सट्रोवर्ट अपने दिल और दिमाग में चल रहे घमासान को स्ट्रेंजर्स के साथ बांट सकता है इससे फायदा यह होता है कि इसमें चेहरा दिखाना जरूरी नही होता और स्ट्रेंजर को बिना आइडेंटिटी के सिर्फ बात बताने से हमे कुछ नए सॉल्यूशन मिल जाते है हालांकि इसके भी अपनी बुराइयां हैं या यूं कहूं कि टेक्नोलॉजी का वर्चुअल वर्ल्ड हो या रियल वर्ल्ड दुनिया में ऐसी कोई भी चीज नहीं है जिसमे अच्छाई या बुराई में से सिर्फ एक ही हो हर चीज

वेद: सही या गलत

मैने हाल ही में वेदों को पढ़ना शुरू किया है और जिसकी शुरूवात मैने ऋग्वेद से करी है। वेदों को पढ़ने का मेरा शुरू से ही काफी मन था और इसका सबसे बड़ा कारण है वेदों के बारे में जो हमने सुना है अब तक क्या वो वाकई सही है और क्यों माननीय दयानंद सरस्वती जी ने आजादी से पूर्व हमे वेदों की ओर लौटो का नारा दिया और क्यों उनके विरोधी वेदों को अंधविश्वास और बेकार बताते हैं। हाल ही में मै ऋग्वेद पढ़ रही हूं और इसको अब तक मैने जितना भी पढ़ा है उससे मुझे बस यही बात समझ आई है कि वेद कोई साधारण या कोई बहुत ही महान पुस्तक न होकर वो पुस्तक है जो हमे वैदिक सभ्यता के बारे में बताती है जिसका मुख्य उद्देश्य आज की ओर भविष्य की पीढ़ी को यह बताना है कि हमारी संस्कृति की vedic सभ्यता कैसी थी और क्या होता था उस समय कौनसे देव पूजे जाते थे और तब की इकोनॉमी कैसे काम करती थीं। जितना मैने इसे पढ़ा और समझा है उसके मुताबिक वैदिक सभ्यता की शुरुवात धार्मिक कार्यों से होकर और उन्ही से संबंधित कार्यों पर समाप्त होती थी। जिसमे ईश्वर पंचतत्व, अश्विन कुमार और उषा देवी प्रमुख थी। जिसमे महानता इंद्र देव की है। हमे आज तक vedic सभ्यत

uniform civil code

समान आचार संहिता जो वर्तमान में बहुत चर्चित है और विवादास्पद भी है।जिसे भारत के संविधान के अंतर्गत भाग चार में परिभाषित राज्य के नीति निदेशक तत्व के अनुच्छेद 44 के तहत स्थान दिया गया है लेकिन आज तक इसे वास्तविकता में लागू नहीं किया गया। जिसका कारण है भारत की धार्मिक विविधता क्योंकि विभिन्न धर्मों के अनुयायियों ने सरकार द्वारा अपने विचार इस पर रखने हेतु जब देशवासियों को प्रोत्साहित किया तब यह विचार रखा गया कि हम क्यूं अपने धर्म को छोड़ कर एक धर्म को माने हम क्यूं एक शादी करे या फिर अग्नि के चारों ओर फेरे ले। सामान्यत इस बात का यह संदर्भ निकला कि देशवासियों को लगता है कि इसमें हमे अपने धर्मपालन को छोड़ कर अन्य धर्म का पालन करना पड़ेगा या सीधी भाषा में कहे तो राजनीतिक धर्मांतरण करना होगा।यह है एक पक्ष जिसको शायद यह नही पता कि वास्तव में यूनिफॉर्म सिविल कोड होता क्या है या फिर एक तरफ हम यह भी कह सकते हैं कि जब सरकार ने हमे यह मौका दिया है कि हम इस विषय पर विचार रखे और सरकार को सुझाव दे कि इसे किस तरह लागू किया जाना चहिए जिससे किसी भी धर्म या आस्था को ठेस ना पहुंचे परंतु हम लोग विचार या सुझ

एक प्रश्न.....

धर्म क्या है क्यों है अक्सर हम यह सवाल खुद से करते हैं और इससे जुड़ी शब्दावली जानने का प्रयास भी करते हैं लेकिन हम इस बात को भी मानने से इंकार करते हैं कि हमारे जीवन जीने की प्रक्रिया ही धर्म है। लेकिन जब कोई हमारे जीवन जीने की प्रक्रिया पर सवाल उठाता है और उसे हीन दृष्टि से देखता है और हमारे दिलो दिमाग में यह बात बैठने का प्रयास करता है की हमारे जीवन जीने की प्रक्रिया कितनी गलत है और हमारा धर्म मनुष्य की उलझने सुलझाने की जगह उसमे हमे और उलझाने का प्रयास करता है इसलिए हमे यह छोड़ देना चाहिए और जब यही प्रक्रिया लगातार चलती रहती है या जबरदस्ती का कार्य इसमें शुरू हो जाता हैं तब यही प्रक्रिया धर्मांतरण का रूप ले लेती है। हाल ही में कर्नाटक विधानसभा ने धर्मांतरण की प्रक्रिया को वैध घोषित किया है अर्थात धर्मांतरण विरोधी कानून को अवैध बताया गया है।इसका अर्थ है जिस तरह हर गली मोहल्ले में किराने की दुकान देखने को मिलती है ठीक उसी तरह अब धर्मांतरण की दुकानें भी खुलने लगेंगी। वर्तमान सरकार के इस कदम के पीछे एक बड़ी वजह पिछली सरकार से मतभेद होना और राजनीति की दुनिया में यह खेल तो सदियों से चला आ

एक सफर था जिसका अंत हो गया.......

अच्छी खासी चल रही थी मेरी जिंदगी जिसमे मैने कुछ सपने बुने थे जिनके पूरा होने की ख्वाइश करी थी। जब भी ऊपरवाले के आगे सर झुकाती या कोई अच्छा काम करती तो अपनी हर दुआ और मिन्नतों में बस यही मांगती की मुझे और कुछ नही चाहिए बस जो ख्वाब बुना है मैने जिसका हर तिनका बड़ी ही सहेजता से जोडा है उस ख्वाब को हकीकत करदे।जैसे जैसे आगे बढ़ी मेरे कदम हर बार लड़खड़ाए कई बार गिरी पर हर बार खुद को संभाला और खुद से ही कहा कोई बात नही फिर खड़ी हो जाओ अंत मे जीत निश्चित ही तुम्हारी होगी पर इस सफर का अंत आ चुका है पर मेरी जीत के साथ नहीं मेरी हार के साथ। कुछ ही पल में सब कुछ तहस नहस हो गया और मैं कुछ नही कर पाई। बचपन के ख्वाब का और सात साल पुराने सफर का आज अंत हो गया और अंत हुआ भी उस दिन जिस दिन हर कोई बड़ी ही खुशी से बनाता है मेरे जन्मदिन के दिन सच में इससे बेहतर तोहफा कुदरत मुझे क्या ही देगी? मुझे नहीं पता मेरी जिंदगी अब किस मोड़ पर मुझे ले जाएगी क्योंकि जहां जाने की ख्वाइश थी और है भी वहां जाने के सभी रास्ते अब बंद हो चुके हैं लेकिन जहां भी ले जाएगी इतना तो पक्का है यह जिंदगी तो होगी पर जीने की वजह नही.....

लव जेहाद : गलती सिर्फ गुनहगार और समाज की लड़कियों की कोई गलती वाकई में नहीं......

यह हर उस कहानी का सारांश है जिसमे प्यार मोहब्बत की चादर में लिपटी बस हवस और गुनाह होता है। जहां पर हैवानियत भी उस चरम सीमा पर होती है जहां इन्सानियत क्या पशुता भी अपना दम तोड देती है। जहां धर्म का चोला ओढ़कर प्यार के एक दो गीत गाकर एक लड़की को शिकार बनाया जाता है फिर उसका धर्मांतरण करके या तो उसे आतंकवादी गतिविधि में लगा दिया जाता है या फिर अपनी हवस का शिकार बनाने के बाद उसे इतनी बेरहमी से मारा जाता है जिसमे खुद मौत भी शर्मशार हो जाती है।जब इस सच्चाई से समाज को रूबरू कराने का प्रयास किया जाता हैं तो विशेष धर्म के लोग इसे राजनीतिक प्रोपेगंडा या असहिष्णु बताकर विरोध जताने लगते हैं तो वही दूसरी तरफ कुछ लोग इसे समझ कर इसको प्रोत्साहित करते हैं तो कुछ लड़कियों के लिए अब भी यह सब झूठ और बकवास होती है।उनका बस यही मानना होता है कि " हमारा वाला ऐसा नहीं है" उनके मुंह से निकले यह शब्द उनका दर्दनाक भविष्य तो तय करते ही हैं साथ ही उनकी परवरिश पर उंगली उठाने का मौका लोगों को देते हैं।अपनी संस्कृति को अपनी परवरिश को मां बाप की सिखाई बातों को भूल कर जब वो इस राह पर चलकर खुद के अस्तित्व को ल

श श....... कोई सुन न ले

मत बोलो कुछ कोई सुन लेगा, बिना समझे ही तुम्हे कटघरे मे खड़ा करेगा, इन्सानियत की बात करते हैं यहां बड़े ही अदब से सब, वक्त आने पर हर कोई मुंह मोड़ लेगा, मत बताओ हर किसी को खुद के बुने सपनो को, पूरा न होने पर हर कोई तुम्हे नालायक ही कहेगा, नही समझेगा कोई किसी भी कहानी के पीछे छिपी दर्द तकलीफों को, हर कोई कहानी के अंत में सिर्फ तालियां और ज्ञान ही देगा, मत बहाओ अपने दर्द और तकलीफों पर यूं आंखो से आंसू, अपना हो या पराया हर कोई उन्हे देखकर तुम्हे पागल ही कहेगा, श..... खामोशी से जी सको तो जियो जिंदगी अपनी, तभी जी पाओगे अपने ख्वाबों की जमीन अगर बताने गए यहां किसी को कुछ भी, तो तुम्हे तुमसे ही दूर बड़ी बेरहमी से किया जाएगा। ।।