uniform civil code

समान आचार संहिता जो वर्तमान में बहुत चर्चित है और विवादास्पद भी है।जिसे भारत के संविधान के अंतर्गत भाग चार में परिभाषित राज्य के नीति निदेशक तत्व के अनुच्छेद 44 के तहत स्थान दिया गया है लेकिन आज तक इसे वास्तविकता में लागू नहीं किया गया। जिसका कारण है भारत की धार्मिक विविधता क्योंकि विभिन्न धर्मों के अनुयायियों ने सरकार द्वारा अपने विचार इस पर रखने हेतु जब देशवासियों को प्रोत्साहित किया तब यह विचार रखा गया कि हम क्यूं अपने धर्म को छोड़ कर एक धर्म को माने हम क्यूं एक शादी करे या फिर अग्नि के चारों ओर फेरे ले। सामान्यत इस बात का यह संदर्भ निकला कि देशवासियों को लगता है कि इसमें हमे अपने धर्मपालन को छोड़ कर अन्य धर्म का पालन करना पड़ेगा या सीधी भाषा में कहे तो राजनीतिक धर्मांतरण करना होगा।यह है एक पक्ष जिसको शायद यह नही पता कि वास्तव में यूनिफॉर्म सिविल कोड होता क्या है या फिर एक तरफ हम यह भी कह सकते हैं कि जब सरकार ने हमे यह मौका दिया है कि हम इस विषय पर विचार रखे और सरकार को सुझाव दे कि इसे किस तरह लागू किया जाना चहिए जिससे किसी भी धर्म या आस्था को ठेस ना पहुंचे परंतु हम लोग विचार या सुझाव रखने की अपेक्षा बाद विवाद पर अपना अधिक ध्यान दे रहे हैं। हम यह नही समझ पा रहे हैं कि एक कानून एक व्यवस्था होने से देश को कितना फायदा होगा जब भी किसी को न्याय देने की बात आएगी या किसी अपराधी को दंडित करने की बात आएगी तो वह किसी भी धर्म पंथ मजहब को अपनी ढाल बनाने से पहले कई बार सोचेगा इससे न सिर्फ न्याय करने में आसानी होगी अपितु धर्म संप्रदाय और आस्था का जो मजाक और अपमान किया जा रहा है उस पर बड़ी मात्रा में अंकुश लगेगा और जो लोग इसकी आड़ में देश में असुरक्षा और असहिष्णु का माहौल बनाने का प्रयास कर रहे हैं उन्हे सबसे बड़ा झटका लगेगा फिर वो चाहे किसी भी मजहब का ही क्यों न हो। यूसीसी के लिए यदि सरकार चाहे तो कुछ व्यवस्था के साथ इसे लागू कर सकती है जैसे बहुविवाह पर रोक के साथ निकाह या कोर्ट मैरिज मे छूट, किसी भी जीव की पूजा करो या ना करो पर सम्मान सभी का करो,आज भी निचले स्तर की जातियों को जिस काम पर रोक लगाई गई हो उससे छूट प्रदान करना,हमारा धर्म चाहे कुछ भी हो पर संविधान को सर्वोपरि रख उसी को फॉलो करना चाहिए, जिन धर्मों में या समाज में महिला एवं कमजोर वर्ग को उनके अधिकारों से हीन रखा जाता हैं उन सभी के लिए विशेष व्यवस्था करना साथ ही यह हिदायत देना कि जब बात इनके अधिकारों की होगी तो किसी भी धर्म को महत्वता नही दी जाएगी इनके अधिकार और सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण होंगे। यदि हम कुछ इस तरह अपने विचारो को सरकार के समक्ष रखेंगे तो इससे एक फायदा यह होगा कि सरकार को हमारी सही नियत का अंदाजा होगा कि हम भी देश का भला ही चाहते हैं तो कोई हम पर उंगली nhi उठाएगा और दूसरा फायदा यह होगा कि जब हम अपने विचार रखेंगे तो उस पर सरकार भी अपने विचार रखेगी जिससे हमें सरकार की सही मंशा का पता चलेगा और अंत में जो देश हित में सर्वोपरि होगा वही फैसला आखिरी होगा। अतः आपस में वाद विवाद कर मुद्दे से खुद को भटकाए बिना और सरकार को किसी भी फैसले पर निरंकुश रूप धारण करने से रोकने के लिए हमे सरकार के हर फैसले पर गंभीरता से विचार कर उस पर अपनी राय देकर लोकतंत्र को मजबूत बनाने में मदद करनी होगी ।

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