एक सफर था जिसका अंत हो गया.......

अच्छी खासी चल रही थी मेरी जिंदगी जिसमे मैने कुछ सपने बुने थे जिनके पूरा होने की ख्वाइश करी थी। जब भी ऊपरवाले के आगे सर झुकाती या कोई अच्छा काम करती तो अपनी हर दुआ और मिन्नतों में बस यही मांगती की मुझे और कुछ नही चाहिए बस जो ख्वाब बुना है मैने जिसका हर तिनका बड़ी ही सहेजता से जोडा है उस ख्वाब को हकीकत करदे।जैसे जैसे आगे बढ़ी मेरे कदम हर बार लड़खड़ाए कई बार गिरी पर हर बार खुद को संभाला और खुद से ही कहा कोई बात नही फिर खड़ी हो जाओ अंत मे जीत निश्चित ही तुम्हारी होगी पर इस सफर का अंत आ चुका है पर मेरी जीत के साथ नहीं मेरी हार के साथ। कुछ ही पल में सब कुछ तहस नहस हो गया और मैं कुछ नही कर पाई। बचपन के ख्वाब का और सात साल पुराने सफर का आज अंत हो गया और अंत हुआ भी उस दिन जिस दिन हर कोई बड़ी ही खुशी से बनाता है मेरे जन्मदिन के दिन सच में इससे बेहतर तोहफा कुदरत मुझे क्या ही देगी? मुझे नहीं पता मेरी जिंदगी अब किस मोड़ पर मुझे ले जाएगी क्योंकि जहां जाने की ख्वाइश थी और है भी वहां जाने के सभी रास्ते अब बंद हो चुके हैं लेकिन जहां भी ले जाएगी इतना तो पक्का है यह जिंदगी तो होगी पर जीने की वजह नही........
Sunshine 

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