लव जेहाद : गलती सिर्फ गुनहगार और समाज की लड़कियों की कोई गलती वाकई में नहीं......

यह हर उस कहानी का सारांश है जिसमे प्यार मोहब्बत की चादर में लिपटी बस हवस और गुनाह होता है। जहां पर हैवानियत भी उस चरम सीमा पर होती है जहां इन्सानियत क्या पशुता भी अपना दम तोड देती है। जहां धर्म का चोला ओढ़कर प्यार के एक दो गीत गाकर एक लड़की को शिकार बनाया जाता है फिर उसका धर्मांतरण करके या तो उसे आतंकवादी गतिविधि में लगा दिया जाता है या फिर अपनी हवस का शिकार बनाने के बाद उसे इतनी बेरहमी से मारा जाता है जिसमे खुद मौत भी शर्मशार हो जाती है।जब इस सच्चाई से समाज को रूबरू कराने का प्रयास किया जाता हैं तो विशेष धर्म के लोग इसे राजनीतिक प्रोपेगंडा या असहिष्णु बताकर विरोध जताने लगते हैं तो वही दूसरी तरफ कुछ लोग इसे समझ कर इसको प्रोत्साहित करते हैं तो कुछ लड़कियों के लिए अब भी यह सब झूठ और बकवास होती है।उनका बस यही मानना होता है कि " हमारा वाला ऐसा नहीं है" उनके मुंह से निकले यह शब्द उनका दर्दनाक भविष्य तो तय करते ही हैं साथ ही उनकी परवरिश पर उंगली उठाने का मौका लोगों को देते हैं।अपनी संस्कृति को अपनी परवरिश को मां बाप की सिखाई बातों को भूल कर जब वो इस राह पर चलकर खुद के अस्तित्व को लहूलुहान कर देती है तब वो यह बोलती है कि हमें क्यों नही सिखाया गया हमारा धर्म हमारी संस्कृति हमे हमारे पहले कदम पर ही क्यों नही रोका गया। तब इनकी नजर में सारी गलती या तो मां बाप की या फिर समाज की होती है। वैसे तो हम बहुत कुछ बिना पढ़ाए बिना सिखाए बिना समझाए सिख जाते है और अपने पैरेंट्स को भी सिखा देते हैं तो फिर हम इन बातों को क्यों नही समझते।ठीक है हमारे हिसाब से हमे किसी ने कुछ नही समझाया न ही कुछ बताया तो क्या हम खुद नही सिख सकते। वैसे तो हजारों रिसर्च हम पैरेंट्स की इच्छा और परमिशन के बिना कर देते है। पैरेंट्स के कह अनुसार चलने से पहले भी हम हजारों रिसर्च करते हैं तो क्या हम इसकी रिसर्च नही कर सकते हैं? 
इन सभी बातों को देखते हुए अब कुछ बुद्धिजीवी यह ज्ञान देंगे कि प्यार अंधा होता है। अब उनकी समझ जो सिर्फ काल्पनिक किरदारों पर अटकी हुई है वो कहां प्यार और हवस में फर्क कर पाएगी। जबकि वास्तविकता यह है कि प्यार अंधा सिर्फ उस स्थान पर होता है जहां वो सूरत नही सीरत देखे जहां पैसा फेम और बाकी सब materialistic चीजों और बातो को साइड में रखकर सामने वाले की नियत और दिल को देखे उसकी सोच को समझे उसकी भावनाओं की कदर कर पाए और यही अंधा प्यार ही सच्चा प्यार होता है। पर अफसोस यह बात हम समझना ही नही चाहते हम इन बातों को जानना ही नही चाहते हमें बस इतना ही पता है कि हम अगर कोई भी फैसला लेंगे जिसमे हमें हमारा भविष्य साफ साफ दिख रहा है उसमे हमारे साथ कुछ गलत होता है तो गलती पैरेंट्स और समाज की है हमारी नही हम तो बेगुनाह है हमे फसाया गया है .......

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